जांजगीर-चांपा में ‘संविधान बचाओ रैली’ क्यों?:संविधान की बात, SC वोटर्स के साथ; कांग्रेस की रणनीति के 5 बड़े मायने

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ रैली’ जांजगीर-चांपा में होने जा रही है। इस रैली में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट समेत प्रदेश भर के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। लेकिन सवाल यह है कि राजधानी रायपुर, दुर्ग या बिलासपुर में रैली रद्द होने के बाद इन जगहों को छोड़कर पार्टी ने जांजगीर-चांपा को ही क्यों चुना? इसके पीछे गहरी सियासी सोच और संदेश छिपा है। जांजगीर को लेकर कांग्रेस की सोच क्या है? अब उन 5 बड़ी वजहों को जानते हैं, कि आखिर जांजगीर क्षेत्र कांग्रेस के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं और यहां रैली के आयोजन के मायने क्या है। SC बाहुल्य क्षेत्र, कांग्रेस की पारंपरिक पकड़ जांजगीर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और यहां एससी मतदाताओं की बड़ी आबादी है। कांग्रेस लंबे समय से इस बेल्ट में दलित वर्ग के बीच मजबूत पकड़ बनाए हुए है। ‘संविधान बचाओ अभियान’ जैसे आइडियोलॉजिकल मूवमेंट को ऐसे समुदायों से गहरा जुड़ाव मिलता है, जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक न्याय के सवालों से जुड़े रहे हैं। यह रैली सीधा संदेश देती है कि कांग्रेस दलित हितों और संविधान की रक्षा के लिए जमीन पर उतर चुकी है। 2023 में विधानसभा पर क्लीन स्वीप, फिर भी लोकसभा में हार साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 8 सीटें कांग्रेस ने जीती। पार्टी ने 7 सीटों पर 10 हजार वोट के बड़े अंतर से शानदार प्रदर्शन किया। खुद पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और बीजेपी के दिग्गज सौरभ सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से हार गई। ऐसे में यह रैली कांग्रेस के लिए लोस्ट ग्राउंड रीगेन करने की रणनीति भी हो सकती है। लोकसभा हार से असंतोष, एकजुटता की कोशिश लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव डहरिया हार गए, जबकि बीजेपी की कमलेश जांगड़े सांसद चुनी गईं। संगठन के भीतर इस हार को लेकर असंतोष और सवाल थे। अब जांजगीर-चांपा में रैली करके पार्टी एकजुटता का संदेश देना चाहती है और कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करना चाहती है कि आंदोलन और संगठन दोनों जमीन पर सक्रिय हैं। राजनीतिक संतुलन और सोशल मैसेजिंग राज्य के SC बेल्ट में कांग्रेस की ऐतिहासिक पैठ रही है। भूपेश बघेल की सरकार ने भी पिछली कार्यकाल में कई योजनाएं एससी वर्ग को केंद्र में रखकर चलाई थीं। अब जब संवैधानिक संस्थाओं पर हमले और आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार सवाल उठा रही है, तब इस रैली को जांजगीर में करने का मतलब सीधे सामाजिक न्याय और संविधान के मूल सिद्धांतों को हाईलाइट करना है। रैली के जरिए 2028 की तैयारी कांग्रेस इस रैली को सिर्फ एक सांकेतिक सभा नहीं बनाना चाहती। यह 2028 विधानसभा और अगली लोकसभा चुनाव की बुनियाद भी साबित हो सकती है। एससी वोटरों को एक बार फिर एक्टिव करना, बूथ लेवल पर संगठन को खड़ा करना और कार्यकर्ताओं में जान फूंकना यही असली मकसद है। जांजगीर लोकसभा की विधानसभा सीटों में जीत का अंतर जांजगीर लोकसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस से पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया मैदान में थे जिन्हें बीजेपी की कमलेश जांगड़े ने करीब 60 हजार वोट से हराया था। इन संकेतों को समझिए कांग्रेस की रणनीति की चाबी

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