राजस्थान कांग्रेस के जाने-माने नेता रामेश्वर लाल डूडी (62) का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वे 25 महीने से कोमा में थे। डूडी अपने समर्थकों के लिए किसी से भी भिड़ जाते थे। वे अपनी बात मनवाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने तत्कालीन भाजपा के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया से साफ कह दिया था। बिजली कंपनी के खिलाफ हुए आंदोलन में हमारे एक भी साथी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं होना चाहिए। इस पर जब कटारिया ने कहा- सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पुलिस से मारपीट और अधिकारी को भी हटाएं, ये कैसे संभव है। इस पर डूडी ने कहा- ये तो करना पड़ेगा। ऐसा हुआ भी। कुछ समय बाद अधिकारी को भी हटाया गया और मामले भी रफा-दफा किए। डूडी यहीं नहीं रुके थे। उन्होंने अपने ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ‘धृतराष्ट्र’ कह दिया था। उनके सलाहकार रहे कुलदीप शर्मा बताते हैं- एक्टर धर्मेंद्र से चुनाव हारने पर संसद के सेन्ट्रल हॉल पर हुई बात में हेमा मालिनी से कहा था- 4 दिन और मिलते तो धर्मेंद्र को हरा देता। शर्मा बताते हैं- विधानसभा सत्र से पहले जनसुनवाई की प्रथा भी उन्होंने शुरू की। वे दिनभर में करीब 50 फोन मंत्रियों और पुलिसकर्मियों को मिलाते थे। ताकि समस्याएं बता कर हल निकाल सकें। रामेश्वर लाल डूडी से जुड़े कुछ किस्से पढ़िए… जनवरी 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 21 सीट मिली थी। कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष बनाने के ज्यादा विकल्प नहीं थे। ऐसे में रामेश्वर डूडी को ये जिम्मेदारी सौंपी गई। सोचा गया था कि 21 विधायक कैसे 5 साल तक विधानसभा में कांग्रेस की आवाज बनेंगे। हुआ इसका उलट। डूडी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर और बाहर जमकर सवाल उठाए। इसका परिणाम 2018 के चुनावों पर पड़ा। कांग्रेस अशोक गहलोत की अगुवाई में फिर से सत्ता में आ गई। जब कांग्रेस सरकार में आई तब 2018 का चुनाव डूडी बीजेपी के बिहारीलाल विश्नोई से हार गए। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष होने का दावा ठोका था
साल 2019 में जब राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) के चुनाव होने थे तो डूडी ने स्वयं के अध्यक्ष बनने का दावा ठोक दिया था। उधर, सीपी जोशी और अशोक गहलोत दोनों मिलकर वैभव गहलोत का नाम आगे बढ़ा रहे थे। जोशी और गहलोत के गठजोड़ से डूडी नाराज हो गए। आरसीए के अध्यक्ष पद से नामांकन खारिज होने के बाद डूडी ने सीपी जोशी और अशोक गहलोत दोनों पर हमला बोल दिया। डूडी ने कहा कि ‘धृतराष्ट्र’ ने अपने पुत्र मोह में कैसा खेल रचा, महाभारत देख लो। राज्य सरकार और आरसीए अध्यक्ष सीपी जोशी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए लोकतंत्र व प्रजातंत्र की हत्या की है। तब डूडी ने कहा था कि जोशी ने वैभव गहलोत को आगे लाकर अब मुख्यमंत्री पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पानी को लेकर धरना और राजे से विशेष सत्र बुलाने की मांग
रामेश्वर डूडी के सलाहकार रहे कुलदीप शर्मा कहते हैं- जब वे नेता प्रतिपक्ष बने। मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) के संरक्षण और प्रदेश को पड़ोसी राज्यों से हुए जल समझौते का पूरा पानी मिलने को लेकर भी एक्टिव रहे थे। इस मुद्दे पर उन्होंने जयपुर में अपने सिविल लाइन स्थित सरकारी निवास पर 8 घंटे तक किसानों की बैठक की थी। इसकी रिपोर्ट सोनिया गांधी को भी भेजी थी। तब अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे। सोनिया गांधी ने अमरिन्दर सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि रामेश्वर डूडी से इस मुद्दे पर बात करें। सोनिया गांधी ने इसकी एक कॉपी डूडी को भी भेजी थी। जब पंजाब विधानसभा ने आईजीएनपी का पानी राजस्थान को देने के विरोध में निर्णय लिया तो डूडी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से इस मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। रामेश्वर डूडी के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने सदन में किसानों का कर्जा माफ करने के मुद्दे पर 56 घंटे तक धरना दिया था। मुख्यमंत्री ने स्वयं इन विधायकों से मिलकर 50 हजार रुपए तक का कर्जा माफ करने की घोषणा की थी। ऑटोमोबाइल की गहरी समझ थी
शर्मा बताते हैं- उनकी ऑटोमोबाइल पर भी गहरी समझ व दिलचस्पी थी। वे ट्रक, ट्रैक्टर से लेकर बाइक चलाना भी जानते थे। हाईवे पर अपनी गाड़ी रोककर ट्रक ड्राइवरों से बातें करते थे। यह सिलसिला ग्रामीण इलाकों में भी जारी रहती थी। गांव की पगडंडी पर ऊंट गाड़ी वाले को देखकर उनसे तमाम समस्याओं पर चर्चा करते थे। उन्हें राजस्थान के बहुत से जिलों की गांव-ढाणी तक हजारों किसान परिवारों की तीन-तीन पीढ़ियों की जानकारी थी। जब वे वर्ष 1999 में बीकानेर से लोकसभा सांसद बने। उनकी उम्र सिर्फ 36 साल थी। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने उन्हें अपनी इस लोकसभा सीट का उत्तराधिकारी चुना था। रामेश्वर डूडी वर्ष 1995 में नोखा से प्रधान बने थे और तब बलराम जाखड़ ने उनकी राजनीतिक प्रतिभा को पहचाना था। शुरुआत में रामेश्वर डूडी का राजनीतिक सफर अशोक गहलोत के साथ आगे बढ़ा। वे राम रघुनाथ चौधरी, बद्री जाखड़ जैसे किसान नेताओं के साथ अशोक गहलोत के बहुत करीब थे। उन्होंने गहलोत के समर्थन में राजस्थान के बहुत से किसान नेताओं के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात कर गहलोत की पैरवी की थी। 4 दिन मिल जाते तो धर्मेंद्र को हरा देता
शर्मा बताते हैं- रामेश्वर डूडी वर्ष 2004 में फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र से लोकसभा चुनाव हार गए थे। 8 में से वे 6 विधानसभा क्षेत्र में आगे रहे थे। सिर्फ बीकानेर शहर में धर्मेन्द्र को भारी बढ़त मिली थी और उसकी एक वजह सन्नी देओल और बॉबी देओल का बीकानेर में पैदल घूमना भी था। रामेश्वर डूडी कहते थे कि यदि उन्हें चार दिन और मिल जाते तो वे धर्मेन्द्र को भी हरा देते। इसके बाद संसद के सेंट्रल हॉल में जब उनसे गोविंदा ने चर्चा की तो यही बात उन्होंने हेमा मालिनी, जया प्रदा और गोविंदा के सामने कही। उन्होंने राजस्थान में जाट मुख्यमंत्री की बात सार्वजनिक सभा ‘जाट महाकुंभ’ में की। चर्चा मुख्यमंत्री बनने की
शर्मा बताते हैं- वर्ष 2018 में रामेश्वर डूडी नोखा से चुनाव हार गए थे। हालांकि उन्हें 76 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। मतदान के बाद और रिजल्ट के पहले दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान जब राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को लेकर दुविधा में थे। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और उनके कुछ करीबी पूर्व मंत्रियों ने रामेश्वर डूडी के नाम पर विचार का सुझाव सोनिया गांधी को दिया था। दिल्ली से तुरंत डूडी को बुलावा आया और वे दिल्ली चले गए। सोनिया गांधी इस तीसरे नाम पर बहुत गंभीरता से विचार कर रही थीं। दुर्भाग्य से डूडी 2018 का चुनाव हार गए थे। सत्र से पहले जनसुनवाई
शर्मा कहते हैं- 2018 में राहुल गांधी ने दिल्ली में अपने आवास पर रामेश्वर डूडी से ओबीसी राजनीति पर गहरी चर्चा की थी। उन्हें ध्यान से सुना था। जब डूडी लोकसभा सांसद थे। राजेश पायलट भी उनसे किसानों के मुद्दे पर मंत्रणा करते थे, क्योंकि डूडी में एक मौलिक चिंतन और जमीनी पकड़ थी। रामेश्वर डूडी ने राजस्थान विधानसभा के बजट सत्रों से पहले जनसुनवाई की अनूठी परंपरा डाली। जनता से फीडबैक फॉर्म भरवाकर उन्होंने सदन में रखे थे। इसी तरह प्रदेश की नदियों, नहर और झीलों के संरक्षण के लिए किसान सशक्तिकरण का आह्वान कर जन सैलाब जयपुर में इकट्ठा किया। किसानों और युवाओं की भीड़ उनके नाम से जुटती थी। सरकारी निवास पर चलता था लंगर
शर्मा कहते हैं- जब तक वे नेता प्रतिपक्ष रहे। उनके सरकारी आवास पर सुबह-शाम आगंतुकों के लिए लंगर चलता था। कोई भी वहां खाना खा सकता था। जब डूडी फुर्सत में होते तो वे लोगों की चौपाल लगाकर बैठ जाते। उनकी बातचीत के अंदाज से लगता कि वे किसी गांव में बैठे हैं। उनके सानिध्य में एक ग्रामीण परिवेश की महक थी। मंत्रियों से लेकर थानेदारों को फोन
वे जब नेता प्रतिपक्ष थे। लोगों के काम के लिए दिन भर में 50 फोन मंत्री से लेकर थानेदार तक को कर दिया करते थे। जबकि वह भाजपा राज था। डूडी का स्वभाव इतना सरल था कि उनके फोन करने का अपना असर होता था। प्रदेश के किसी भी कोने का व्यक्ति उनके पास पक्के भरोसे से चला आता था। नोखा से टिकट मिली, फिर भी नाराज
कांग्रेस में डूडी समर्थक बताते हैं- 2018 में रामेश्वर डूडी को नोखा से कांग्रेस की टिकट मिल गई। इसके बाद भी वो कांग्रेस के विरोध में ही ताल ठोक कर खड़े हो गए। पार्टी ने कन्हैयालाल झंवर को बीकानेर पूर्व से टिकट नहीं देकर यशपाल गहलोत को दावेदार बनाया। इस पर डूडी नाराज हो गए। उन्होंने नोखा के मुख्य बाजार में एकत्र होकर बोल दिया, अगर कन्हैयालाल झंवर को बीकानेर पूर्व से टिकट नहीं दी तो वो स्वयं नोखा से चुनाव नही लड़ेंगे। पार्टी को डूडी की बात माननी पड़ी और यशपाल को हटाकर कन्हैयालाल झंवर को टिकट दिया। हालांकि बाद में डूडी स्वयं और कन्हैयालाल झंवर दोनों चुनाव हार गए। जिला प्रमुख वो बना, जिसे डूडी ने चाहा
डूडी समर्थक बताते हैं- ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति में डूडी का कोई मुकाबला नहीं था। विधानसभा में कांग्रेस हो या फिर भाजपा, बीकानेर की जिला प्रमुख पर वो ही काबिज रहा, जिस पर डूडी का हाथ रहा। एक वक्त ऐसा भी आया, जब भाजपा और सामाजिक न्याय मंच (देवी सिंह भाटी का पुराना दल) को बहुमत मिला। डूडी समर्थक बताते हैं- पूरी उम्मीद थी कि भाटी समर्थक ही जिला प्रमुख बनेगा, रिजल्ट आया तो पता चला कि डूडी को जीत मिली है। वो स्वयं जिला प्रमुख बने। इसके बाद सुशीला सींवर हो या फिर मोडाराम, सभी डूडी समर्थक ही जिला प्रमुख रहे। सरकार भाजपा की, हुआ वो जो डूडी ने कहा
डूडी समर्थक बताते हैं- अपने समर्थकों के लिए डूडी किसी से भी भिड़ जाते थे। बीकानेर में बिजली कंपनी के खिलाफ आंदोलन करते हुए कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर ही हमला कर दिया था। नत्थूसर गेट पर हुई इस घटना के बाद मामले दर्ज हो गए। डूडी ने अपने समर्थकों के लिए तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया के घर पहुंच गए। डूडी समर्थक बताते हैं- उन्हें साफ शब्दों में कह दिया कि ये पॉलिटिकल इवेंट था, हमारे साथी के खिलाफ मामले वापस होने चाहिए। गृह मंत्री ने आश्वासन भी दिया। डूडी उनके कक्ष से बाहर निकल गए, फिर लौटकर वापस कटारिया के पास गए और बोले, … और हां, उस अधिकारी को भी बीकानेर से हटाओ। कटारिया हंसते हुए बोले.. हमारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पुलिस से मारपीट, आपके कार्यकर्ता पर मामला भी दर्ज नहीं हो और हमारे अधिकारी को भी हटायें। ये कैसे होगा डूडी साब। डूडी समर्थक बताते हैं- इस पर डूडी ने बोला ये तो आपको करना ही पड़ेगा। बाद में ऐसा हुआ भी। कुछ दिन में अधिकारी को हटा दिया गया। मामले भी रफा-दफा हो गए। — रामेश्वर लाल डूडी की यह खबर भी पढ़िए… राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता रामेश्वर डूडी का निधन:25 महीने से कोमा में थे, ‘पेंट-शर्ट’ वाले जाट नेता के तौर पर भी थी पहचान रामेश्वर लाल डूडी की पहचान किसान नेता के साथ पैंट-शर्ट वाले जाट नेता के तौर पर भी थी। साल 2004 के बीकानेर लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट और एक्टर धर्मेंद्र को कड़ी चुनावी टक्कर दी थी। (पढ़ें पूरी खबर)