महिलाएं बोलीं -डॉग बाइट का मुद्दा नगर निगम चुनावों में गायब

भास्कर न्यूज | अमृतसर डॉग बाइट की समस्या एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इस समस्या से महिलाएं ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। सिविल अस्पताल की बात करें तो रोजाना यहां 30-40 के करीब मरीज केवल रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आते हैं। इनमें 10 से ज्यादा महिलाएं होती है। लेकिन चुनावी दौर में यह मुद्दा बिलकुल गायब है। कुछ एरिया की महिलाओं ने इस पर चिंता व्यक्त की है। महिलाओं का कहना है कि बच्चों को घरों के बाहर लेकर जाना मुश्किल होता है। रात में भी कुत्ते गलियों से गुजरने नहीं देते। घरों में काम करने वाली मेड को यह समस्या ज्यादा आ रही है। क्योंकि वह सुबह शाम जब घरों में काम करने जाती हैं तो कुत्ते उनके पीछे पड़ जाते हैं। उनके लिए एक घर से दूसरे घर जाने में समस्या होती है। गर्मी में यह समस्या और भी बढ़ने लग जाती है। कुत्ते दिन रात गाड़ियों और दो पहिया वाहनों के पीछे दौड़ते रहते हैं। इससे कई हादसे भी हुए और महिलाएं चोटिल भी हुई। ^शहर में प्रमुख सड़क व चौराहों समेत अधिकांश गलियों में आवारा कुत्ते नजर आ रहे हैं। संख्या अधिक होने से महिलाओं को कुत्तों के हमला करने का डर रहता है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां रात में गलियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। -उल्फत, शहर निवासी ^बड़ा सवाल यह है कि एमसीडी आवारा कुत्तों की जनसंख्या को कंट्रोल करने के साथ-साथ उनके नियमित रूप से वैक्सीनेशन करने में क्यों नाकाम साबित हो रहा है। इस मुद्दे को छोटा समझकर नजरदांज न किया जाए। -रीना, शहर निवासी ^कई बार लोग कुत्ता काट लेने के बाद इसका घरेलू उपचार करा लेते हैं, लेकिन बाद में यह खतरनाक बीमारी बनकर उभर सकती है। कुत्ते के काटने के बाद एंटी रैबीज इंजेक्शन अनिवार्य रूप से अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाए। क्योंकि टीका ही इसका समाधान है। -नीतू, शहर निवासी

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