विधायक ने मुख्यमंत्री काटजू से कहा-पटवारी चुनाव की राजनीति में हिस्सा ले रहा है खेतिहर किसान, आम आदमी से लेकर उद्योगपति और बड़े अधिकारी तक अपनी जमीन के हर काम के लिए पटवारी के चक्कर काटते हैं। पटवारी की एक कलम से जमीन का टुकड़ा गायब हो जाता है तो दूसरी कलम से जमीन की दिशा बदल जाती है; उपजाऊ खेत बंजर बन जाते हैं और बंजर जमीन लहलहाती नजर आती है। पटवारी की इसी ताकत के कारण हर गांव और हर बस्ती में पटवारी की अपनी अलग पहचान होती है। चुनाव के पहले रायपुर आए काटजू
सन् 1957 में देश के नामी वकील, वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व राज्यपाल कैलाशनाथ काटजू मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। काटजू अपनी निष्पक्ष राजनीति और कुशल प्रशासन के लिए जाने जाते थे। बावजूद इसके कि मध्यभारत के जावरा क्षेत्र से उनका निकट का संबंध रहा था, उनके लिए राजनीतिक रूप से मध्यप्रदेश एक प्रकार से अनजान था। उन्होंने किसी तरह 1957 से लेकर 1962 के प्रारंभ तक प्रदेश का नेतृत्व किया। इस बीच कांग्रेस में ही उनके विरूद्ध एक गुट तैयार हो गया था। बहरहाल, 1962 के चुनाव के पहले वे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के दौरे पर निकले। इसी सिलसिले में वे रायपुर आए। विधायक ने की पटवारी की शिकायत
मुख्यमंत्री काटजू रायपुर में सर्किट हाउस में ठहरे। यहां उनसे मिलने रायपुर के ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रायः सभी नामी गिरामी राजनेता और कुछ आम नागरिक पहुंचे। यह क्रम देर तक चलता रहा और उन्होंने छत्तीसगढ़ की स्थिति का जायजा लिया। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री काटजू ने रायपुर जिले के कलेक्टर को बुलाया। कलेक्टर से उन्होंने रायपुर जिले की कानून व्यवस्था की स्थिति और विकास कार्यक्रमों की जानकारी ली। इस जानकारी के बाद उन्होंने राजनीतिज्ञों और नागरिकों से मिली जानकारी कलेक्टर को बताकर नियमानुसार ही काम करने का निर्देश दिया। इतनी बात हो जाने के बाद काटजू ने कलेक्टर से कहा, ‘‘मुझे राजिम क्षेत्र के एक पटवारी के बारे में शिकायत मिली है। उस क्षेत्र के विधायक मुझसे मिलने आए थे और उन्होंने यह कहकर शिकायत की कि वह पटवारी चुनाव की राजनीति में हिस्सा ले रहा है।‘‘ इतना कहकर काटजू ने कलेक्टर से पूछा, ‘‘क्या आपको इन बातों की कोई खबर है?‘‘ मुख्यमंत्री की बात सुनकर कलेक्टर चौंक गए। उन्हें इस बाबत् कोई जानकारी नहीं थी। कलेक्टर ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘‘सर, मैं फौरन जांच कर पटवारी को दुरुस्त कर दूंगा।’ मुख्यमंत्री हंस पड़े
कलेक्टर से पटवारी को दुरुस्त करने की बात सुनकर मुख्यमंत्री बेहद नाराज नजर आए। मुख्यमंत्री के चेहरे के भाव को देखकर कलेक्टर फिक्रमंद हो गए कि पता नहीं अब मेरा क्या होगा। कलेक्टर को पटवारियों की कारगुजारियों का पता होना चाहिए किंतु उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं थी। कलेक्टर चुप होकर मुख्यमंत्री के आदेश का इंतजार करते रहे। कुछ क्षण बाद मुख्यमंत्री झल्लाकर एकदम से खड़े हो गए और कलेक्टर से कहा, ‘‘अजीब हैं यहां के एमएलए ! चुनाव अपनी ताकत पर लड़ते हैं या पटवारी की? छोटा-सा पटवारी क्या किसी के चुनाव को प्रभावित कर सकता है? यदि किसी नेता के चुनाव पर एक पटवारी असर डाल सकता है, तो वह नेता ही किस काम का है?‘‘ इतना कहकर मुख्यमंत्री हंस पड़े और कलेक्टर की तरफ देखकर कहा, ‘‘जांच कर लो, पर कोई खास बात नहीं है।‘‘ मुख्यमंत्री की इस बात को सुनकर रायपुर कलेक्टर की जान में जान आई और वह तेजी से मुख्यमंत्री के कमरे से बाहर आ गए।


