राजधानी रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में बढ़ती डॉग बाइट घटनाओं और सड़कों पर कुत्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। आवारा कुत्तों को पकड़ने, उपचार, टीकाकरण और नसबंदी का काम अब निजी एजेंसी को सौंपा जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग इसके लिए जल्द ही 15 करोड़ रुपए का टेंडर जारी करेगा। प्रारंभिक गणना के अनुसार प्रदेश में करीब 3 लाख आवारा कुत्ते हैं। वहीं रायपुर नगर निगम में इनकी संख्या करीब 45500 के आसपास है। अब तक यह काम नगरीय निकायों की टीमें करती थीं, लेकिन कई जगह संसाधनों और विशेषज्ञता की कमी बनी रही। इसलिए विभाग सेंट्रलाइज्ड सिस्टम विकसित कर रहा है। दरअसल, निगम हर साल कुत्तों की संख्या कम करने के लिए एक करोड़ खर्च कर रहा है। अंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार रायपुर में रोजाना 35 से अधिक लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं। केवल अंबेडकर अस्पताल में हर माह करीब 350 डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं। जिला अस्पताल में 4 से 6 केस रोज पहुंचते हैं। अंबेडकर अस्पताल में बीते साल 2024 में 2,832 डॉग बाइट के केस सामने आए। साल 2023 में 1929 लोगों को कुत्तों ने काटा। आंकड़ों से समझें गली-मोहल्ले के साथ हर सड़क में कुत्तों का झुंड दैनिक भास्कर की टीम इंडोर स्टेडियम के पास पहुंची। यहां आवारा कुत्तों का झुंड लगा था। स्थानीय निवासी राजकिशोर ने बताया कि इस सड़क पर आवारा कुत्तों और पशुओं की बढ़ती संख्या के चलते लोग परेशान हैं। सुबह से लेकर देर रात तक कुत्तों के झुंड दिखाई देता है। रात में बाइक या साइकिल से सफर करने वालों का दौड़ाते हैं। दो दिन पहले ही एक बुजुर्ग महिला को कुत्तों ने भौंकते हुए अचानक दौड़ाया था। इसी तरह टीम जब पुरानी बस्ती स्थित टूरी हटरी पहुंची तो यहां भी आवारा पशुओं का आतंक देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब यह आपस में लड़ते हैं तो लोग अपने घरों में चले जाते हैं। कई बार सांड की लड़ाई से सड़क पर खड़ी कार और बाइक डैमेज हुई है। इसी तरह टीम स्टेशन रोड पहुंची तो यहां भी आवारा कुत्ते, गाय के झुंड और सांड का जमावड़ा सड़क पर था। इसके चलते ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बन रही है। नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी के अनुसार पूरा शहर आवारा कुत्तों और मवेशियों के चलते परेशान है। शहर में आए दिन कुत्तों के काटने की शिकायतें मिल रही हैं। अभी यह व्यवस्था: पकड़ने के तीन दिन बाद नसबंदी, फिर वहीं छोड़ देते हैं
रायपुर नगर निगम की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तृप्ति पाणिग्रही के मुताबिक रायपुर में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए इसके लिए अलग से दो वेटनरी डाक्टरों की नियुक्ति की गई है। आवारा कुत्तों को पकड़ने चार लोगों की टीम अलग है। इनका काम रोज सुबह शहर में घूमकर आवारा कुत्तों को पकड़ना है। इसके साथ ही निगम की हेल्पलाइन नंबर 1100 आने पर वहां जाकर कुत्तों को पकड़ना है। इससे बाद बैजनाथपारा स्थित नसबंदी सेंटर लाते है। यहां की केज में 22 आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी किया जाता है। इसके बाद दो दिन अस्पताल में रखा जाता है, फिर वहीं छोड़ दिया जाता है।
अब ऐसे करेंगे मॉनिटरिंग: कंट्रोल रूम बनाएंगे और तैनात करेंगे स्टाफ
एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) नियमों के अनुसार टेंडर लेने वाली कंपनी ऑपरेशन थिएटर बनाएगी, कंट्रोल रूम तैयार करेगी, कुत्तों को पकड़ने के लिए डॉग कैचर, ऑपरेशन के लिए डॉक्टर और पकड़ने के लिए कर्मचारी नियुक्त करेगी। ठेका एजेंसी ऑपरेशन कर कुत्ते के ठीक होने के बाद उसे छोड़ने का काम करेगी। कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी नगरीय प्रशासन विभाग तक वास्तविक जानकारी भेजेंगे। इससे अफसरों को भी लगातार अपडेट मिलते रहेंगे। नई व्यवस्था में यह भी प्रावधान होगा कि किसी भी कुत्ते को पकड़ने के 24 घंटे के भीतर उसका ऑपरेशन और टीकाकरण किया जाए, ताकि लंबी कैद से पशु कल्याण के नियमों का उल्लंघन न हो। शहर में लगातार चल रहा है अभियान
आवारा कुत्तों और मवेशियों को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। रायपुर की जनता को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। अगर आवारा कुत्ते और मवेशी अब भी सड़कों पर नजर आ रहे हैं तो फिर से धरपकड़ अभियान चलाया जाएगा। – मीनल चौबे, महापौर रायपुर सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार होगा
एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) के नियम के तहत काम चल रहा है। कुत्तों को लेकर सिस्टम सेंट्रलाइज्ड करने की तैयारी है। इसके लिए 15 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया जाएगा। टेंडर प्रक्रियाधीन है। -पुलक भट्टाचार्य, एडिशनल डायरेक्टर, नगरीय प्रशासन विभाग


