2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें:केंद्र की एडवाइजरी; MP-राजस्थान में कफ सिरप के सैंपल में जहरीला रसायन नहीं मिला

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को हेल्थ एडवाइजरी जारी करके कहा कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप (खांसी और सर्दी की दवाएं) न दी जाएं। सरकार ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत की खबरों के बाद एडवाइजरी जारी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों राज्यों से बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के सैंपल में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाला कोई जहरीला रसायन नहीं मिला है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले DGHS ने एडवाइजरी में कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को यदि कफ सिरप दिया जाए तो उनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। यानी जिस बच्चे को दवा दी जा रही है, उसे कड़ी निगरानी में रखा जाए। उसे ​​उचित खुराक दी जाए। कम से कम समय के लिए दवा दी जाए। कई दवाओं के साथ कफ सिरप नहीं दिया जाए। DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा ने यह एडवाइजरी जारी की है। सभी क्लिनिक अच्छी कंपनी की दवा खरीदें सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और क्लिनिक से कहा गया है कि वे अच्छी कंपनी की और फार्मास्युटिकल-ग्रेड दवाएं खरीदें। यह एडवाइजरी सभी गवर्नमेंट मेडिकल स्टोर्स, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, जिला अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में लागू की जाए। सिरप के नमूनों में खतरनाक केमिकल नहीं मिला मंत्रालय ने मध्य प्रदेश में 9 और राजस्थान में 2 बच्चों की मौतों को कफ सिरप से जोड़ने वाली खबरों पर भी स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने बताया कि नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), द सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) सहित अन्य एजेंसियों ने कफ सिरप, ब्लड और अन्य सैंपल कलेक्ट किए थे। मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश की राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की, जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल नहीं मिला। वहीं, NIV पुणे की जांच में एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की पुष्टि हुई है। तमिलनाडु ने जांच भी पूरी कर ली, सिरप बनाना-बेचना दोनों बैन किया तमिलनाडु सरकार ने मप्र की ओर से पत्र मिलते ही 24 घंटे के भीतर कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) का सैंपल लेकर जांच कराई। इसमें डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) 48.6% मिला, जो एक विषैला पदार्थ है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके तुरंत बाद पूरे तमिलनाडु में इसके उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तमिलनाडु में छुट्‌टी के बावजूद 48 घंटे में कार्रवाई पूरी की। पूरे तमिलनाडु में थोक और रिटेल स्टॉक को सीज कर दिया गया है। ————————————— कफ सिरप से मौत से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… बच्चों के सिरप में कूलेंट वाले केमिकल का कंटेंट:इससे किडनी-दिमाग पर बुरा असर, इन सॉल्वेंट का इस्तेमाल गैरकानूनी मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 7 बच्चों की मौत हो चुकी है। 7वें बच्चे ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ा। जिन दवाओं से बच्चों को आराम मिलना चाहिए था, वही उनकी मौत की वजह बन गईं। पूरी खबर पढ़ें… राजस्थान में 2 बच्चों की मौत; ड्रग कंट्रोलर ने नकली दवाओं की परिभाषा बदली, कई फार्मा कंपनियों को बचाया सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली कफ सिरप पीने से 2 बच्चों की मौत के साथ ही तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। फूड सेफ्टी ड्रग कंट्रोलर डिपार्टमेंट के अधिकारी फार्मा कंपनियों को बचाने में जुटे हैं। अधिकारी ने नकली दवाइयां बनाते पकड़ी गई कंपनियों को बचाने के लिए एक्ट की परिभाषा ही बदल दी। पूरी खबर पढ़ें…

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