26 पोटा केबिन में उतारा 1 करोड़ का सामान:अधीक्षकों को नहीं पता सप्लायर कौन, बीजापुर में रिसिप्ट पर कराए गए साइन

बीजापुर जिले के चार ब्लॉक में स्थित 26 पोटा केबिन में करीब 1 रुपए का सामान बिना रेट वाले कोटेशन पर सप्लाई किया गया। अधीक्षकों को यह तक नहीं पता कि सामान की सप्लाई किस फर्म ने की है। पोटा केबिन आश्रम तारलागुड़ा 50 सीटर स्वीकृत है लेकिन अभी वहां महज 15-18 छात्र ही मौजूद हैं। अधीक्षक सदानंदम अट्टम ने बताया कि छात्रों की उपस्थिति कम ही रहती है। आजू-बाजू में बालिका और बालक पोटा केबिन आश्रम संचालित हैं। वहीं बालिका पोटा केबिन अधीक्षक शांता चिडेम ने बताया कि पोटा केबिन 40 सीटर स्वीकृत हैं। 30 छात्राओं की उपस्थिति है। पावती में रेट अंकित नहीं सदानंदम अट्टम ने बताया कि जनवरी फरवरी माह में सामाग्री संस्था में आया था। सामग्री के साथ पावती भी आया था। पावती में रेट अंकित नहीं था। जिला कार्यालय से कहा गया कि सील सिग्नेचर करके संबंधित वाहन चालक को दे दो। उच्चाधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए हमने दे दिया। इसके पहले भी सालों से सामान ऐसे ही आता रहा और हम हस्ताक्षर करके पावती देते रहे हैं। पोटा केबिन में आवश्यक सामान की मांग के बावजूद हमें जरूरत की सामग्री नहीं उपलब्ध होती थी। जो आया उसी में एडजस्ट करना पड़ता है। हमें दोषी करार दिया जा रहा उन्होंने कहा कि अभी जो सामान आया है, उसमें फिनायल- 248 लीटर, ब्रश, पोंछा, हारपिक, 55 इंच एलईडी टीवी, ऑफिसर्स चेयर, प्लास्टिक चेयर सहित कुल 30 आइटम्स हैं। अब जांच हो रही है, हर साल की तरह इस साल भी हमें पावती भेजी गई, हमने हस्ताक्षर करके दे दिया। अब जांच हो रही है। हमें दोषी करार दिया जा रहा है। हॉस्टल में सालों से कच्चे शेड में भोजन बनाया जाता था, वहां तत्कालीन एडीपीओ पुरुषोत्तम चंद्राकर ने शीट का शेड बनवा दिया। करीब 25 हजार की लागत से बनी शेड की राशि भी उन्हीं के दुकानदार को दी गई। अब बच्चों के लिए भोजन उसी शेड में बनता है। समस्याओं की शिकायत, लेकिन हल नहीं अधीक्षिका शांता चिड़ेम ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी समान आया पावती आया। हमने हस्ताक्षर करके दे दिया। लेकिन संबंधित फर्म की ओर से बिल हमने नहीं मिल पाया था। हॉस्टल बिल्डिंग में खिड़कियां, दरवाजे टूटे हैं। बारिश में हॉस्टल कैंपस तालाब बन जाता है। लाइट नहीं रहने से छात्राओं को नहाने दूसरे हॉस्टल जाना पड़ता है। कई समस्याएं हैं, जिससे जिला अधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन हल नहीं निकला। लिपिकों ने कॉल करके पावती में साइन करवाया हाईस्कूल पोटा केबिन बालक छात्रावास के अधीक्षक जयंत कसोजी ने बताया कि कौन से फर्म से सामान आया, उसकी जानकारी नहीं है। समान आया, पावती आया उसके आधार पर हमने पावती में सील साइन करके दे दिया। जिला कार्यालय में बैठे एडीपीओ, प्रोग्रामर और लिपिकों ने कॉल करके पावती में साइन करवाया। सालों से यही प्रक्रिया चल रही है। मार्च में हमारे पोटा केबिन से भी भुगतान किया गया है। टीवी, झाड़ू पोंछा, फिनायल चेयर और बाकी सामग्री हमारे यहां भेजा गया था। अधीक्षकों के मुताबिक, जनवरी 2025 में जिला शिक्षा अधिकारी रमेश निषाद थे और एडीपीओ एमवी राव थे। उन्हीं के कार्यकाल में भंडार कार्य नियमों को तिलांजलि देते निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना और अधीक्षकों के मांगपत्रों को दरकिनार करके दंतेवाड़ा की फर्म से सप्लाई करवाया गया। पूरी प्रक्रिया जांच के दायरे में है।

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