हाथी भी नही तोड़ पाए नगर परिषद जैतहरी की बाउंड्रीवाॅल
हाथी गोबरी जंगल में मचा रहे उत्पात
अनूपपुर। तीन हाथियों का समूह शुक्रवार के दिन वन परिक्षेत्र, थाना एवं तहसील जैतहरी अंतर्गत धनगवां बीट के जंगल में दिन भर विश्राम करने बाद देर शाम को जंगल से निकल कर लगभग 17 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए शनिवार की सुबह एक बार फिर गोबरी के जंगल में पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं,हाथियों द्वारा देर रात जैतहरी नगर में पहुंचकर बस स्टैंड के पीछे स्थित बाउंड्री वॉल को पार करने हेतु अनेको वार तोड़ने का हर संभव प्रयास किया लेकिन बाउंड्री नहीं टूटने से तीनों हाथियों ने दूसरा रास्ता अपनाते हुए रेलवेलाइन पार किया,इस दौरान वनविभाग के साथ जैतहरी थानाप्रभारी अमर वर्मा पुलिस बल के साथ पूरी रात हाथियों के विचरण पर निगरानी बनाए रखते हुए आम जनों को हाथियों से दूर रखा,रात के दौरान हाथियों के द्वारा किसी भी तरह का विशेष नुकसान नहीं पहुंचाया। तीन हाथियों का दल आज 23 वें दिन निरंतर अनूपपुर जिले के जैतहरी इलाके में विचरण कर रहा है जो शुक्रवार को पूरे दिन विगत 7-8 दिनों से धनगवां के जंगल में विश्राम करने के बाद देर शाम जंगल से निकल कर कुसुमहाई, पटौरा, टकहुली, लहरपुर, मुर्रा गांव से गुजरता हुआ देर रात नगर परिषद जैतहरी में अनूपपुर-जैतहरी-वेंकटनगर मुख्य मार्ग को पार कर बस स्टैंड के पीछे स्थित सेड,बाउंड्री वॉल में पहुंच कर जहां से वह पूर्व में भी आए गए रहे नगर परिषद जैतहरी द्वारा सेट एवं बाउंड्री वॉल का निर्माण कर दिया रहा की बाउंड्री वॉल से निकलने के लिए तीनों हाथी अनेको वार तोड़ने की कोशिश की लेकिन बाउंड्री वाल के मजबूती के कारण नहीं टूटने से मजबूर तीनों हाथी वापस आकर बस स्टैंड के समीप दूसरे रास्ते से मोजर बियर को जाने वाली रेल्वेलाईन एवं अनूपपुर बिलासपुर के मुख्य रेलवेलाईनों को पार करते हुए बंजारी टोला से तिपान नदी पार कर शनिवार की सुबह होते एक बार फिर से ग्राम पंचायत एवं वन बीट गोबरी के झुरहीतलैया जंगल में पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं,तीनों हाथियों द्वारा पूरी रात तक विचरण दौरान ग्रामीण जनों के किसी भी संपत्ति का विशेष नुकसान नहीं किया हाथियों के विचरण पर निगरानी रखने हेतु वनविभाग की तीन अलग-अलग गस्ती दल के साथ जैतहरी थाना प्रभारी अमर वर्मा पुलिस बल के साथ पूरी रात हाथियों के विचरण पर निगरानी रखते हुए आम जनों को हाथियों से दूर रखने का प्रयास करते रहे इस बीच कई गांव के ग्रामीण हाथियों को अपने टोला, मोहल्ला एवं क्षेत्र से बाहर किए जाने हेतु हो-हल्ला,पटाखा एवं अन्य माध्यम से प्रयास करते दिखे।