अखिल भारतीय किसान सभा का 90वां स्थापना दिवस 11 अप्रैल को सम्पन्न हुआ
अनूपपुर। अखिल भारतीय किसान सभा के नौजवान जिला अध्यक्ष किसान नेता संतोष केवट की अध्यक्षता और राज्य के कोषाध्यक्ष और पूर्व स्टूडेंट्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राहुल भायजी मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गए। मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के 90 फीसद छोटे और सीमांत कृषक सरकार की नीतियों के चलते न तो ठीक कृषि उपज ले पा रहे हैं और न ही अपने घर परिवार की जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं। जिले में सात-सात नदियां हैं और उनके पानी का इस्तेमाल खेतों खलिहानों के लिए किए जाने हेतु कोई प्रयास नहीं है। जमीन सूखी रह जाती है, कर्ज सर पर होता है। किसानों के परिवारों में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रहा है और उन्हें काम नहीं है। किसानों को प्रदेश की राजनीति में बदलाव की तैयारी में एकजुट होने की आवश्यकता है। किसान सभा के राज्य सचिव जनक राठौर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि किसानों द्वारा आजादी पूर्व अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष करते हुए, बिहार से किसानों के अग्रणी क्रांतिकारी स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की नींव रखी। और पहले अध्यक्ष हुए, एवं एनजी रंगा को पहला महासचिव चुना गया। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य जमींदारी प्रथा को खत्म करना, किसानों के ऊपर लगाए गए कर को कम करना और बंधुआ मजदूर से निजात दिलाना मुख्य ध्येय बना। और अब प्रदेश की भाजपा सरकार भी अंग्रेजी हुकूमत के कदमों पर चलते हुए किसानों पर ऐसे कानून लाद रही है कि उनके हाथों से जमीन निकल कर कॉरपोरेट के हवाले की जा सके। राष्ट्रीय कृषि विपरण नीति लाकर सरकार पिछले दरवाजे से कृषकों की फसल के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को दरकिनार कर कृषकों से जमीनें कम भुगतान कर छुड़ाई जा रही हैं। वहीं फसल की लगत कीमत न निकल पाने से किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं, कर्ज माफी का सवाल उद्योपतियों के लिए है, किसानों के लिए नहीं। सरकार की सारी योजनाओं का फायदा उद्योगों को पहुंचाया जा रहा है। लेकिन सरकार किसान के हित में समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने तैयार नहीं। किसान सभा के जिला सचिव किसान नेता हीरालाल राठौर, संजय राठौर ने अपने संबोधन में कहा कि हम किसानों को अब अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सजग होने का वक्त आ गया है। सरकार को किसानों की तकलीफें नजर नहीं आ रहीं। उन्हें अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं और उनके बच्चों को अच्छी स्कूली शिक्षा भी उपलब्ध नहीं, कृषि कार्य न कर पाने वाले बुजुर्ग पेंशन नहीं पा सकते क्योंकि सरकार की नजर में उनकी कोई हैसियत नहीं। उन्हें किसानों को जमीनी संघर्ष के लिए तैयार रहने की बात कही। स्थापना कार्यक्रम को नौजवान आदिवासी नेता समर शाह सिंह, किसान नेता मोहन राठौर, लालमणि राठौर और डॉ.असीम मुखर्जी, आदि नेताओं ने संबोधित किया एवं ग्राम पंचायत सिंदरी के किसान साथियों का आभार मानते हुए साथी संतोष केवट ने समापन अध्यक्षीय भाषण में कहा कि किसानों को जागने की जरूरत है, उन्हें नेतृत्व देने वाले पढ़े लिखे किसान नेता उनके बीच हैं, वे अपने को अकेला न समझें। उन्होंने जिले के किसानों से आवाहन करते हुए कहा कि जिले खेतों को पानी और नौजवानों के हाथों को काम के लिए तीव्र संघर्ष किया जाएगा जिसके लिए शीघ्र ही एक जुझारू रणनीति तय कर चलो गांव की ओर के साथ गांव गांव जाने वाला यात्रा का आयोजन किया जाएगा।