शाहरुख की ‘जवान’ में नजर आ चुकीं हैं आलिया कुरैशी:म्यूजिक और एक्टिंग दोनों में दिखा रहीं अपना दम, कभी सेट पर हुई थी बदसलूकी

एक्ट्रेस और सिंगर आलिया कुरैशी इंडस्ट्री की उभरती कलाकार हैं। अमेजन प्राइम की सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स-2’ में एक्ट्रेस ने अपनी एक्टिंग से सबका ध्यान खींचा। इससे पहले वो शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ में नजर आ चुकी हैं। हाल ही में वो नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘नादानियां’ में भी दिखीं। आलिया एक्टिंग के अलावा म्यूजिक से भी जुड़ी हैं। वो गाना लिखती और गाती भी हैं। एक्ट्रेस ने अपनी एक्टिंग जर्नी और बॉलीवुड में हुए अपने अनुभवों को लेकर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है। आपके घर में कोई म्यूजिक फील्ड से नही है, ऐसे में आपने इस फील्ड को कैसे चुना? मेरे घर में प्रोफेशनली कोई नहीं गाता था। हां,मेरे पेरेंट्स अच्छा गा लेते हैं। ऐसे में उन्होंने बचपन से ही म्यूजिक को लेकर बढ़ावा दिया। मैं स्कूल में पढ़ाई के अलावा सिर्फ सिंगिंग में एक्टिव थी। मैंने अपना पहला गाना पांचवी क्लास में लिखा था। उस गाने के पीछे का इंस्पिरेशन एक मरा हुआ मेंढक था। किस्सा कुछ यूं है कि मुझे और मेरे दोस्तों को स्कूल के बास्केटबॉल कोर्ट में एक मरा मेंढक मिला। जब हम सब उसके पास गए, तभी उसकी बॉडी में हलचल हुई। उस समय मेरे मुंह से निकला ओह माय गॉड इट्स कमिंग अलाइव। मेरे दोस्तों को वो लाइन बहुत पसंद आई। इस तरह मेरा पहला गाना कमिंग अलाइव आया। मैंने अपना पहला गाने का टाइटल उस घटना से प्रेरित होकर रखा। उसके बाद से मैं लगातार लिख रही हूं। आप अपने नाम में झल्ली लगाती हैं। इसके पीछे की क्या कहानी है? मेरे पेरेंट्स ने मुझे झल्ली बुलाना शुरू किया। वो निगेटिव सेंस में मुझे झल्ली कहते थे। उन्हें मेरे कपड़े पहनने का तरीका नहीं पसंद आता था। वो मुझे कहते थे कि तुम झल्ली की तरह कपड़े क्यों पहनती हो? लड़कियों की तरह कपड़े पहना करो। मैं उनसे कहती थी कि मैं हूं झल्ली, इसमें बुराई क्या है? मेरे लिए झल्ली का मतलब केयर फ्री, पागल, जरा हट कर, इंडिपेंडेंट होना था। ऐसे में घर या बाहर जब भी मुझे कोई झल्ली बुलाता था तो मैं उसे तारीफ की तरह लेती थी। मैंने अपने आर्टिस्ट लाइफ में इस शब्द को जीने की कोशिश की है। अपने पहले गाने ‘प्रिटी’ के बारे में बताइए। इसका आइडिया कैसे आया? साल 2018 में मैं अपना पहला गाना ‘प्रिटी’ लेकर आई। उस वक्त मैं कॉलेज में थी। उस वक्त मैं अपने रॉक बैंड के साथ लॉस एंजिल्स में परफॉर्म कर रही थी। मुझे देखकर लोग अक्सर ये राय बना लेते थे कि मैं प्रिटी हूं तो मुझे वैसे ही बिहेव करना चाहिए। मुझे इस बात और ऐसी सोच से बहुत कोफ्त होती है। लोग अपनी सोच दूसरों पर थोप देते हैं। मेरे गाने ‘प्रिटी’ का कॉन्सेप्ट ही यहीं से आया कि मैं प्रिटी नहीं तूफान हूं। मुझे नहीं सुननी लोगों की बात। हालांकि, इस गाने को किसी ने नहीं सुना। एक आर्टिस्ट का सबसे बड़ा डर होता है कि लोगों को उनका काम पसंद आएगा या नहीं। मेरे मामले में तो ये भी नहीं हुआ। लोगों ने सुना ही नहीं। खैर, ये एक तरह से अच्छा ही हुआ। जब किसी ने ‘प्रिटी’ नहीं सुना तो मेरे अंदर से लोग क्या कहेंगे वाला प्रेशर निकल गया। मेरे अंदर और अच्छा म्यूजिक बनाने का आत्म विश्वास आया। इतनी छोटी उम्र में संन्यास और विपश्यना की तरफ जाने की क्या वजह रही है? मैं मुंबई में ही पली-बढ़ी हूं। स्कूलिंग मेरी यही से हुई है। कॉलेज के लिए मैं लॉस एंजिल्स चली गई। वहां मैंने साइकोलॉजी और म्यूजिक की पढ़ाई की। मैंने म्यूजिक लिखना और परफॉर्म करना सीखा। मैं बचपन से ही बहुत सेंसेटिव हूं। मुझे लोगों के दुख-दर्द का एहसास रहा है। दूसरों की दुखों में देखकर मैं रोती पड़ती थी। मैं देखती थी कि मुंबई में इतने अमीर लोगों हैं और उनके घर के आस-पास ही इतनी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके पास घर नहीं है। ये फर्क मुझे बेचैन कर देता था। ये सब देखकर मैं सोचने लगी थी कि मैं यहां क्यों हूं? मेरे पास हर कुछ क्यों हैं? मुझे ही ऑपर्च्युनिटी क्यों मिल ही है? ये सारी बातें मुझे अंदर से खा रही थी। अमीरी-गरीबी का फर्क देख मैं सो नहीं पाती थी। इन्हीं सारी उलझनों के साथ मैं अपने जीवन में आगे बढ़ती रही। जब मैं विदेश से वापस आई तो ये चीजें मुझे ज्यादा परेशान करने लगीं। फिर मैंने विपश्यना का सहारा लिया। इसके जरिए मैंने ये सीखा कि कैसे दुख को खुद के ऊपर हावी नहीं होने देना है। आप म्यूजिक फील्ड में काफी अच्छा कर रही हैं। ऐसे में एक्टिंग की तरफ दिलचस्पी कैसे आई? मैं बचपन से कास्टिंग एजेंसी के संपर्क में रही हूं। सात-आठ साल की थी, जब मेरा और मेरे भाई का फन रिपब्लिक मॉल के बाहर कास्टिंग एजेंसी ने इंट्रो वीडियो लिया था। उसके बाद में ऑडिशन देती रहती थी। लेकिन उससे ज्यादा कुछ हुआ नहीं,बस मैंने दो-तीन ऐड किया। मुझे इंडस्ट्री पसंद नहीं आई। मुझे इंडस्ट्री से अच्छी एनर्जी नहीं मिली तो मैंने तय किया कि मुझे एक्टिंग नहीं करनी है। मैं फिर पढ़ाई के लिए यूएस चली गई। मुझे एक्टिंग पसंद थी। मुझे ये करने में मजा आता था। मैं यूएस में भी एक्टिंग क्लास लेती थी। जब मैं पढ़ाई पूरी करके वापस आई तो मुझे एक ऑडिशन कॉल आया। नेटफ्लिक्स के एक शो ‘एटर्नली कंफ्यूज्ड एंड ईगर फॉर लव’ में मुझे सेकेंडरी रोल मिला। मेरा दो दिन का ही शूट था। मुझे टाइगर बेबी प्रोडक्शन के साथ शूट करने का मौका मिला। वो अपने एक्टर को बहुत अच्छे से रखते हैं। मुझे काम करके बहुत मजा आया। मैंने उस वक्त सोचा कि अब मुझे म्यूजिक के साथ एक्टिंग पर भी फोकस करना चाहिए। आपका इंडस्ट्री से जुड़ा कोई बुरा अनुभव है, जो बताना चाहेंगी? हां, मेरे बुरे अनुभव रहे हैं लेकिन मैं नाम नहीं बताऊंगी। मेरी कई दोस्त हैं, जिनके साथ सेट पर उल्टा-सीधा हुआ है। किसी भी इंडस्ट्री में लड़की होना मुश्किल है। खासकर के एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में। शुक्र है कि मेरा साथ अभी तक कुछ बड़े लेवल पर नहीं हुआ लेकिन इंडस्ट्री अब्यूसिव है। मैंने इसे झेलना सीख लिया है। मेरा जो सबसे बुरा अनुभव रहा वो ये था कि एक बार मेरे ऊपर सबके सामने माइक पर चिल्लाया गया। मैं कुछ बोल नहीं पाई, वैन में जाकर खूब रोई थी। उस समय से मैंने तय किया कि मैं इंडस्ट्री को नहीं बदल सकती हूं, खुद को बदल सकती हूं। अगर किसी की वाइब अच्छी नहीं लग रही है तो मैं खुद ही दूर हो जाती हूं। मैं क्रिटिसिज्म ले सकती हूं, बेइज्जती नहीं।

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